क्षमावाणी पर्व
- क्षमा अंत:करण की उदारता है ।
- क्षमा सामाजिक और पारिवारिक तौर पर तो बहुत मांगी जाती है, पर असली तो आत्मिक और आंतरिक है ।
- नींव की मजबूती कलश की शोभा को बढ़ाती है ।
पर्युषण के 10 धर्म नींव हैं और क्षमा कलश ।
- क्षमा के ‘क्ष’ शब्द में दो गाँठें होती हैं,
पहली गाँठ दूसरों से तथा दूसरी स्वंय से ।
ज्यादा गाँठें, पहचान वालों से ही पड़ती हैं,
इन गाँठों को खोलना ही क्षमा है ।
- संस्कृत में ‘क्ष’, ‘क’ और ‘श’ से मिलकर बनता है,
‘क’ से कषाय और ‘श’ से शमन,
तथा ‘मा’ से मान का क्षय ।
- क्रोध तो फिर भी छोटी बुराई है पर ध्यान रहे – यह बैर की गाँठ में ना परिवर्तित हो जाये ।
- मच्छर भी खून चूसता है पर उसके मन में कषाय नहीं होती,
पर जब हम उसे मारते हैं, तो कषाय से ही मारते हैं ।
- गलती जानबूझ कर भी अपराध है और अनजाने में भी,
जैसे जानबूझ कर ज़हर खाने में भी मरण तथा अनजाने में भी ।
- अपने आंगन में, फूल ऐसे खिलायें, जिनसे पड़ौसी को सुगंध आए ।
मुनि श्री सौरभसागर जी