क्षयोपशम सम्यग्दर्शन

औपशमिक सम्यग्दर्शन होने पर मिथ्यात्व की तीनों प्रकृतियां सत्ता में बहुत समय तक रहती हैं।
भावों में शुद्धि आने/ लाने से सम्यक्-प्रकृति का उदय करके तिर्यंच भी क्षयोपशम-सम्यग्दर्शन प्राप्त कर सकते हैं।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. सम्यग्दर्शन का मतलब देव शास्त्र गुरु के प्रति श्रद्वान होना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि औपशमिक सम्यग्दर्शन होने पर मिथ्यात की तीनों प़कृतियां सत्ता में बहुत समय तक रहती हैं। लेकिन भावों में शुद्धि आने या लाने से सम्यक्तव् प़कृति का उदय करके तिर्यंच भी क्षपोपशयम सम्यग्दर्शन प्राप्त कर सकते हैं। अतः जीवन में मिथ्यात के भावों को समाप्त करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

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