ख़्वाहिश

ज़िंदगी में सारा झगड़ा ही ख़्वाहिशों का है,
ना तो किसी को ग़म चाहिए….
और
ना ही किसी को कम….।

(धर्मेंद्र)

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One Response

  1. यह कथन बिलकुल सत्य है… लेकिन ख़्वाहिशों को दो हिस्से में बाँटना पड़ेगा, पहले में इच्छा एवम् दूसरे में तीव्र​ इच्छा; इच्छा तो आवश्यक है, उसे पूरी करनी चाहिए लेकिन तीव्र​ इच्छा की बात सोचनी नहीं चाहिए; तभी आपका कल्याण होगा ।आचार्य श्री ज्ञानसागर महाराज एवं आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु ।

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