घ्रणा
आचार्य श्री दुसरे मुनिराजों के साथ शौच के लिये जाते थे वहां पर कचड़े का ढ़ेर था और उससे बहुत दुर्गंध आती थी । मुनिराजों ने आचार्य श्री से शौच का स्थान बदलने के लिये निवेदन किया ।
आचार्य श्री – इसी गंदगी से तो हम सब पैदा हुये हैं, इससे घ्रणा कैसी ?
(श्रीमति प्रतिभा)
One Response
Papi se nahi pap se ghrdana karo kyo,
ki papi to pap ko chhod sakta hai iseliye hume pap se ghrdana karne chahiye ,jisse hum papo ko chod saken.