चारित्र
ज्ञान के ऊपर से मोह का पर्दा हटाने को चारित्र कहते हैं ।
इसलिये चारित्र का पालन घर में रहकर नहीं हो सकता,
हाँ ! अष्टमूलगुण/ अणुव्रत/ प्रतिमायें धारण करके अभ्यास कर सकते हैं ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
ज्ञान के ऊपर से मोह का पर्दा हटाने को चारित्र कहते हैं ।
इसलिये चारित्र का पालन घर में रहकर नहीं हो सकता,
हाँ ! अष्टमूलगुण/ अणुव्रत/ प्रतिमायें धारण करके अभ्यास कर सकते हैं ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
One Response
चारित्र के लिए पापों से निवृत्ति और अंतरंग में कषाय,मोह आदि का अभाव होना चाहिए।
उक्त कथन सत्य है कि ज्ञान के ऊपर से मोह का पर्दा हटाने को चारित्र कहते हैं, अतः चारित्र के पालन घर में रहकर नहीं हो सकता है, इसके लिए अष्टमूलगुण, अणुव्रत और प़तिमायें धारण करके अभ्यास करना परम आवश्यक है। जैन धर्म में चारित्र का बहुत महत्व है, इसके कारण ही अच्छा मानव बन सकता है।