जीवन

  • बचपन में    – ज्ञानार्जन,
  • युवावस्था में – धनार्जन,
  • वृद्धावस्था में – पुण्यार्जन (करना तो चाहिये तीनों अवस्थाओं में )

Share this on...

One Response

  1. उक्त कथन सत्य है लेकिन आजकल वृद्धावस्था भी पुण्योर्जन का कार्य नहीं करते हैं।
    भारतीय संस्कृति में जीवन के चार आश्रम बताये गये है।
    1 ब़हचर्य 2 ग़हस्थ आश्रम 3 वानप़स्थ आश्रम 4 बैराग्य आश्रम ।
    अतः वृध्दावस्था मे ग़हस्थी का मोह छोड़कर धर्म ध्यान का ज्ञान प़ाप्त करना चाहिए इसके उपरान्त बैराग्य मार्ग अपनाना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

March 10, 2019

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031