जैन दर्शन
अन्य दर्शनों की तरह, जैन दर्शन का एक शास्त्र क्यों नहीं ?
अन्य दर्शनों में भगवान अकेला कर्ता होता है, जैन दर्शन में हर जीव को भगवान बनने की शक्ति है/सबमें अपने अपने कर्मों के कर्ता/भोगतापने की शक्ति होती है, सो बहुत सारे शास्त्रों की आवश्यकता होती है ।
(ज्ञान भी अथाह है, एक शास्त्र में समायेगा नहीं)
मुनि श्री सुधासागर जी
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जैन दर्शन का मतलब मोक्ष मार्ग को दिखावे को कहते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि जैन दर्शन अन्य दर्शनों की तरह अलग होता है। अन्य दर्शनों में भगवान् को कर्ता बताया गया है, जबकि जैन दर्शन में हर जीव को भगवान बनने की शक्ति है, सबमें अपने कर्मों के कर्ता या भोगतापने की शक्ति होती है, इसलिए बहुत सारे शास्त्रों की आवश्यकता होती हैं। अतः जैन दर्शन का ज्ञान भी अथाह है, एक शास्त्र में समायेगा नहीं ।