ज्ञान / दर्शन

अनध्यवसायी = व्यवसाय नहीं – दर्शनोपयोग।
सत्य/असत्य, धर्म/अधर्म में भेद नहीं करता दर्शनोपयोग,
बस वस्तु का एहसास कराता है।
इससे हमारा काम नहीं चलेगा,
इसलिये इसकी महिमा नहीं गायी गयी।
अध्यवसायी = व्यवसाय – ज्ञानोपयोग।
इसलिये केवली भगवान को सर्वज्ञ कहा, सर्वदर्शी नहीं।

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One Response

  1. अनध्यवसायी का मतलब गमन करते हुए मनुष्य को जैसे पैरों में तृण आदि का स्पर्श होने पर स्पष्ट नहीं मालूम पड़ता है कि क्या लगा अथवा जैसे जंगल में दिशा भूल जाना,उसी प्रकार परस्पर साक्षेप नयों के अनुसार वस्तु को नहीं जान पाना कहलाता है। अतः ज्ञान दर्शन में जो अनध्यवसायी या अध्यवसायी की परिभाषा दी गई है वह पूर्ण सत्य है।

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