बहुत पढ़ना ज्ञान का विषय है,
बार बार पढ़ना ध्यान का, जैसे माला जपना ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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यह कथन सही है कि ज्ञान तो प्राप्त करते हैं लेकिन उसका सदुपयोग नहीं करते हैं। जिसका ज्ञान होता है उसको बार बार पढ कर उसका उपयोग करते हैं उसी को ध्यान कहते हैं। माला जपना भी ध्यान का रुप है।
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यह कथन सही है कि ज्ञान तो प्राप्त करते हैं लेकिन उसका सदुपयोग नहीं करते हैं। जिसका ज्ञान होता है उसको बार बार पढ कर उसका उपयोग करते हैं उसी को ध्यान कहते हैं। माला जपना भी ध्यान का रुप है।