तीर्थंकर-प्रकृति और सम्यग्दर्शन

तीर्थंकरों में शक्ति तीर्थंकर-प्रकृति की नहीं, मुख्यत: सम्यग्दर्शन की होती है, क्योंकि बिना सम्यग्दर्शन के यह प्रकृति बंधना ही बंद हो जाती है ।

एक बार यह प्रकृति बंधना शुरू हुई तो वह बंधती ही रहती है चाहे वह जीव किसी भी भव में जाये ।
जैसे Solar Watch, एक बार शुरू हुई तो चलती ही रहती है,
नरक जाते समय क्षयोपशम-सम्यग्दृष्टि के अन्तर्मुहूर्त  के लिये रुकती है, फिर बंधनी शुरू हो जाती है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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