दसवें से बारहवें गुणस्थान में चौदह परीषह संभव हैं । दसवें गुणस्थान में मोहनीय समाप्त तो नहीं हुई पर मात्र सत्ता में है, इसलिये इसमें परीषह ग्यारहवें – बारहवें गुणस्थान जैसे ही होते हैं ।
त.सू.टीका – पं. कैलाशचंद्र शास्त्री जी
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