दान

एक दिन युधिष्ठर जब राज्यसभा विसर्जित कर रहे थे, तब एक याचक आ गया ।
युधिष्ठर – कल आना, आज तो राज्यसभा विसर्जित हो रही है ।
भीम ने विजय-घोष के नगाडे बजवा दिये ।
युधिष्ठर ने आश्चर्य से पूछा- ये नगाडे क्यों बजाये गये ?
भीम – आपने मृत्यु को जीत लिया है इसलिये ये विजय-घोष हो रहा है । कल तक आप जिंदा रहेंगे, यह विश्वास, मृत्यु पर जीत नहीं तो क्या है ?
युधिष्ठर ने तुरन्त याचक को बुलाकर उसे मुँह मांगा दान दे दिया ।

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