दिगम्बरत्व

जब आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज से एक लंगोटी पहनने के लिये कहा तो उन्होंने दुर्योधन का हवाला देते हुऐ बताया – उसने अपनी माँ का कहना नहीं माना था सो उसका हश्र देखा!
साधु को जिनवाणी माँ का कहना मानना चाहिये या कषायीओं (कषाय करने वाले गृहस्थ) का!!

मुनि श्री सुधासागर जी

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One Response

  1. दिगम्बरत्व ही जैन होने की पहिचान होती है,वह भी दिगम्बर पथ के लिए परम आवश्यक है।
    अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है कि दिगम्बर साधु को सिर्फ जिनवाणी मां का ही पालन करना होता है, अन्य का नहीं, क्योंकि वह अपरिग्रह रहित होते हैं।

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