दुर्भाग्य को जीतना चाहते हो तो …
सौभाग्य और दुर्भाग्य में समता भाव रखना/झेलना सीखो ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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उक्त कथन सत्य है कि जो दुर्भाग्य को जीतना चाहता हो तो उसको सौभाग्य ओर दुर्भाग्य में समता का भाव रखना और झेलना सीखना है। अतः जीवन में कोई परिस्थिति चाहे सुख दुःख हो तो समता और परिस्थितियों को स्वीकार करता है वही जीवन का कल्याण कर सकता हैं।
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उक्त कथन सत्य है कि जो दुर्भाग्य को जीतना चाहता हो तो उसको सौभाग्य ओर दुर्भाग्य में समता का भाव रखना और झेलना सीखना है। अतः जीवन में कोई परिस्थिति चाहे सुख दुःख हो तो समता और परिस्थितियों को स्वीकार करता है वही जीवन का कल्याण कर सकता हैं।