देव-दर्शन

एक रूपक –
देवदर्शन करते समय ऐसा आभास हुआ कि भगवान पूछ रहे हों-
तुम्हारे साथ एक बिटिया आती थी, आजकल दिखती नहीं है?
हाँ ! प्रभु वह आजकल व्यस्त रहने लगी है।
तो क्या मैं उसका नाम अपने खाते में से काट दूँ ?
नहीं नहीं प्रभु ! जिसका नाम आपके खाते में से कट गया, उसका नाम किस खाते में लिख जायेगा, सोच कर मन सिहर जाता है !

चिंतन

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One Response

  1. जैन परिवार में शुरू से ही संस्कार दिए जाते हैं कि प़तिदिन देव दर्शन करना आवश्यक है।
    अतः जिस व्यक्ति के भाव होते हैं कि बिटिया व्यस्त रहती है, इसलिए देवदर्शन को नहीं आ पाती है,यह तो अच्छा है कि भाव तो रहते हैं लेकिन बिटिया को समय निकालकर देवदर्शन अवश्य करना चाहिए। फल का सवाल है,वह पुण्य जो देव दर्शन करता है उसी को मिलता है।

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