धनतेरस
जैन-दर्शानुसार आज के दिन भगवान महावीर की आखिरी दिव्यध्वनि(प्रवचन) सुनी गयी थी,
उससे भव्य जीवों का जीवन धन्य हो गया था (आज भी हो रहा है/ आगे भी होता रहेगा)
इसीलिए आज की तेरस को धन्य-तेरस कहा जाता है ।
हम सब भी अपने जीवन को तेरह तरह के चारित्रों(5 महाव्रत, 5 समिति, 3 गुप्ति) को धारण करके धन्य बनायें ।
मुनि श्री प्रमाण सागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है जो आज श्री प़माण सागर महाराज जी ने अपने प़वचन में इस बाबत बताया है।