धन/धर्म
धार्मिक क्रियाओं के लिये धन चाहिये, धन के लिये धार्मिक क्रियायें ।
पर स्व-धर्म के लिये धन की जरूरत नहीं है ।
मुनि श्री विश्रुतसागर जी
धार्मिक क्रियाओं के लिये धन चाहिये, धन के लिये धार्मिक क्रियायें ।
पर स्व-धर्म के लिये धन की जरूरत नहीं है ।
मुनि श्री विश्रुतसागर जी
3 Responses
Can the meaning of “swa-dharm” be explained please?
Higher stage पर बाह् से जब अंतरंग में लीन रहने लगता है तब धन की क्या आवश्यकता ?
ok Uncle. understood now.