धर्म / नीति
धर्म: स्वमुखी/आत्ममुखी, निश्चय, परमार्थ में जीना सिखाता है।
नीति: प्राणमुखी, व्यवहार, संसार में जीना सिखाती है।
मुनि श्री सुधासागर जी
धर्म: स्वमुखी/आत्ममुखी, निश्चय, परमार्थ में जीना सिखाता है।
नीति: प्राणमुखी, व्यवहार, संसार में जीना सिखाती है।
मुनि श्री सुधासागर जी
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धर्म का तात्पर्य सम्यग्दर्शन सम्यक्ज्ञान और सम्यग्चारित्र है, धर्म जीवों को संसार से मोक्ष सुख में पहुंचाता है।
नीति का भाव व्यवहार में होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि धर्म स्वमुखी, आत्ममुखी यह निश्चय परमार्थ में जीना सिखाता है।
नीति प़ाणमुखी, व्यवहार एवं संसार में जीना सिखाती है।