जो देश/ समाज/ परिवार/ शरीर की बाधाओं के रहते हुये भी धर्म करने की राह निकाल ही ले ,
कृत से ना कर सके तो कारित या अनुमोदना से करे ।
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धर्मात्मा वही हो सकता है जो देश,समाज,परिवार और शरीर की बाधायें होते हुए धर्म की राह पर चले ।इसके लिए कृत न भी करे लेकिन अनुमोदना अवश्य करना चाहिए। धर्म का पालन करते समय आचार विचार का पालन करना चाहिए तभी धर्मात्मा कह लाने योग्य होगा।
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धर्मात्मा वही हो सकता है जो देश,समाज,परिवार और शरीर की बाधायें होते हुए धर्म की राह पर चले ।इसके लिए कृत न भी करे लेकिन अनुमोदना अवश्य करना चाहिए। धर्म का पालन करते समय आचार विचार का पालन करना चाहिए तभी धर्मात्मा कह लाने योग्य होगा।