धर्म
धर्म की पहचान, अधर्म पहचानने से होगी ।
अधर्म कम करते जाओ, जीवन में धर्म आता जायेगा ।
अधर्म किसके लिये ?
शरीर के लिये ! जो यहीं ढ़ेर हो जायेगा, उसके लिये ढ़ेर लगाकर छोड़ कर चले जाना चाहते हो !
आचार्य श्री विद्यासागर जी
धर्म की पहचान, अधर्म पहचानने से होगी ।
अधर्म कम करते जाओ, जीवन में धर्म आता जायेगा ।
अधर्म किसके लिये ?
शरीर के लिये ! जो यहीं ढ़ेर हो जायेगा, उसके लिये ढ़ेर लगाकर छोड़ कर चले जाना चाहते हो !
आचार्य श्री विद्यासागर जी