ये पुण्योदय से नहीं, पुरुषार्थ/कर्मों के क्षयोपशम से होती हैं ।
हाँ ! पापोदय से इन क्रियाओं में अंतराय ड़ल सकता है, जैसे मंदिर जाते समय Accident.
मुनि श्री सुधासागर जी
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पुण्य का मतलब जो आत्मा को पवित्र करती है, जबकि पाप आत्मा को शुभ से बचाए और दूसरों के प्रति अशुभ परिणाम होना होता है । अतः उक्त कथन सत्य है कि धार्मिक क्रियाओं को पुण्योदय से नहीं बल्कि पुरुषार्थ और कर्मों के क्षयोपशम से होती है लेकिन पापोदय से इन धार्मिक क्रियाओं में अंतराय डल सकता है, जैसे मन्दिर जाते समय कोई दुर्घटना हो जावे।
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पुण्य का मतलब जो आत्मा को पवित्र करती है, जबकि पाप आत्मा को शुभ से बचाए और दूसरों के प्रति अशुभ परिणाम होना होता है । अतः उक्त कथन सत्य है कि धार्मिक क्रियाओं को पुण्योदय से नहीं बल्कि पुरुषार्थ और कर्मों के क्षयोपशम से होती है लेकिन पापोदय से इन धार्मिक क्रियाओं में अंतराय डल सकता है, जैसे मन्दिर जाते समय कोई दुर्घटना हो जावे।