गुरु – स्वर्ग की हर चीज़ बहुत बड़ी होती है ।
शिष्य – लाडू भी ?
गुरु – हाँ ।
शिष्य – तो खिलवाइये ।
गुरु – वहाँ का एक क्षण हमारे हजारों वर्षों के बराबर होता है ।
शिष्य – खिलवाइये तो सही ।
गुरु – एक क्षण धैर्य रख ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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धैर्य का मतलब कुछ समय की प़तीक्षा करना है। धैर्य जीवन में तप का कार्य है। धैर्य से जीवन में आकुलता नहीं होती है।
मुनि महाराज जी का कथन पूर्ण सत्य है कि कोई कार्य करते समय धैर्य यानी प़तीक्षा करना चाहिए ताकि आकुलता या व्याकुलता नहीं रहेंगी।
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धैर्य का मतलब कुछ समय की प़तीक्षा करना है। धैर्य जीवन में तप का कार्य है। धैर्य से जीवन में आकुलता नहीं होती है।
मुनि महाराज जी का कथन पूर्ण सत्य है कि कोई कार्य करते समय धैर्य यानी प़तीक्षा करना चाहिए ताकि आकुलता या व्याकुलता नहीं रहेंगी।