नकल

पं. बनारसीदास जी मुनियों की नकल करके 3 दिन तक कमरे में अकेले ध्यान करते रहे (गृहस्थों के आवश्यक कर्त्तव्य छोड़कर )
इस अनुभव को कहते हैं – ऊंट की सवारी, न आगे बैठ पाये न पीछे की ओर।

मुनि श्री सुधासागर जी

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One Response

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि आजकल मनुष्य किसी की भी नकल करते हैं, लेकिन अक्लमंद नहीं होते हैं,वह लोग अपना कल्याण नहीं कर सकते हैं। अतः जीवन में नकल करने के साथ अकल्मंद होना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।

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