निगोदिया
एक शरीर में अनंत निगोदिया, बादर निगोदियों की अपेक्षा से कहा गया है ।
बादर जीव ही किसी के आधार से रहते हैं ।
सुक्ष्म निगोदिया तो गमन करते रहते हैं ।
स्याद्वाद/ पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
एक शरीर में अनंत निगोदिया, बादर निगोदियों की अपेक्षा से कहा गया है ।
बादर जीव ही किसी के आधार से रहते हैं ।
सुक्ष्म निगोदिया तो गमन करते रहते हैं ।
स्याद्वाद/ पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
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