निमित्त / उपादान

मिट्टी के घड़े का रूप/ परिणमन कुम्हार के निमित्त से, उपादान मिट्टी का ।
भविष्य में उस मिट्टी/घड़े का परिणमन उसके खुद के उपादान से होगा, कुम्हार नहीं मिलेगा ।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

(आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनियों को दीक्षा देने के बाद ऐसा ही कहते हैं – मेरा रॉल बस यहीं तक का था, आगे की यात्रा तुमको अपने बलबूते पर ही करनी होगी)

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One Response

  1. निमित्त का मतलब जो कार्य के होने में सहयोगी हो या जिसके बिना काम न हो, उसे कहते हैं।
    उपादान का मतलब किसी कार्य में जो स्वयं उस कार्य रुप परिणमन को प्राप्त हो जाता है । अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मिट्टी का घड़े रुप या परिणमन कुम्हार के निमित्त से जबकि उपादान मिट्टी का होता है। भविष्य में उस मिट्टी और घड़े का परिणमन उसके खुद के उपादान से होगा,जब कुम्हार नहीं मिलेगा।
    अतः जीवन में निमित्त तो मिलते रहते हैं लेकिन जब तक स्वयं का उपादान यानी पुरुषार्थ नहीं होगा तो परिणाम नहीं मिल सकता है।

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