विचार का चूहा,
मन के पटल पर,
उभरना चाहे,
बिल से झाँके,
ध्यान की बिल्ली,
निश्चल पाषाणवत्,
दृष्टि बिल पर केंद्रित,
ताक में बैठी,
घात लगाए,
चूहा डरे,
वापस बिल में,
घुस जाए,
विचार शृंखला,
बनने से पहले,
टूट जाए,
बिल्ली बैठी रहे,
यथावत् समाधिस्थ ।
कमल कांत जैसवाल – चिंतन
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निर्विकल्प का मतलब उनकेे पास कोई विकल्प नहीं होता हैं।इस श्रेणी में मुनि महाराज जो ध्यान और साधना में ही लीन रहते हैं, इसलिए उनको आस पास क्या हो रहा है नहीं मालुम होता है, क्योंकि वह अपनी आत्मा में ही लीन रहते हैं। अतः यही दृष्टिकोण चूहे और बिल्ली का रहा होगा।
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निर्विकल्प का मतलब उनकेे पास कोई विकल्प नहीं होता हैं।इस श्रेणी में मुनि महाराज जो ध्यान और साधना में ही लीन रहते हैं, इसलिए उनको आस पास क्या हो रहा है नहीं मालुम होता है, क्योंकि वह अपनी आत्मा में ही लीन रहते हैं। अतः यही दृष्टिकोण चूहे और बिल्ली का रहा होगा।