धर्मद्रव्य आदि जो भी सहयोग देते हैं सब नोकर्म हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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कर्म के उदय से प़ाप्त होने वाले औदारिक आदि शरीर जो जीव के सुख दुख में निमित्त बनाता है उसको नो-कर्म कहते हैं।अतः धर्मद़व्य आदि जो भी सहयोग देते हैं वह सब नोकर्म होते हैं।
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कर्म के उदय से प़ाप्त होने वाले औदारिक आदि शरीर जो जीव के सुख दुख में निमित्त बनाता है उसको नो-कर्म कहते हैं।अतः धर्मद़व्य आदि जो भी सहयोग देते हैं वह सब नोकर्म होते हैं।