परिग्रह

वैभव का संग्रह पाप है, सदुपयोग पुण्य ।

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One Response

  1. उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है…
    लगता है कि वैभव जो मिलता है वह पुण्य से ही मिलता है लेकिन पाप के बिना वैभव प्राप्त नहीं हो सकता है ।
    अतः उचित होगा कि वैभव को पुण्य के कायो॓ं में उपयोग करें। वैभव का छोडना ही अपरिग्रह कहलायगा।

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