4 पाप बिना इच्छा के भी हो सकते हैं जैसे चींटी का पैर के नीचे आना, इसलिये ज्यादा दोष नहीं बताया ।
लेकिन परिग्रह बिना इच्छा के नहीं हो सकता ।
इसलिये मुनियों को तिलतुष मात्र परिग्रह भी अधोगति का कारण बताया है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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परिग़ह का मतलब है कि सब कुछ त्याग करना जो अभी साधु ही इस श्रेणी में आते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि चार पाप बिना इच्छा के भी हो सकते हैं जैसे पैर के नीचे चींटी आना,इसको दोष नहीं माना गया है। लेकिन परिग़ह बिना इच्छा के नहीं हो सकता है, अतः इसलिए मुनियों को तिलतुष मात्र परिग़ह भी अधोगति का कारण बताया गया है।
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परिग़ह का मतलब है कि सब कुछ त्याग करना जो अभी साधु ही इस श्रेणी में आते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि चार पाप बिना इच्छा के भी हो सकते हैं जैसे पैर के नीचे चींटी आना,इसको दोष नहीं माना गया है। लेकिन परिग़ह बिना इच्छा के नहीं हो सकता है, अतः इसलिए मुनियों को तिलतुष मात्र परिग़ह भी अधोगति का कारण बताया गया है।