दया
पर पर दया करना, प्राय: अध्यात्म से दूर जाना लगता है ।
स्वंय के साथ पर का और पर के साथ स्वंय का ज्ञान होता ही है ।
चँद्रमंड़ल को देखते हैं तो नभमंड़ल भी दिखता ही है ।
वासना का विलास मोह है और दया का विकास मोक्ष है ।
अधूरी दया / करूणा, मोह का अंश नहीं, अपितु आंशिक मोहध्वंस है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी