पुण्य का खाता
करैया गांव में पंचकल्याणक हुआ । लालमणी भाई उस समय 10 वर्ष के थे और जलूस में हाथी पर बैठने की जिद करने लगे । हाथी पर बैठने के लिये 1000 रू. जमा कराया जा रहा था, जो उनकी दादी के पास नहीं थे फिर भी दादी ने 100 रू. दान दिये ।
पंचकल्याणक किसी वजह से रद्द हो गया और सबके पैसे वापिस कर दिये गये पर दादी ने 100 रू. वापिस नहीं लिये जबकि 1000 रू. वालों ने अपने पैसे वापिस ले लिये ।
दादी का कहना था कि आज मैं 1000 रू. दान नहीं कर पाई पर मुझे विश्वास है कि, ये 100, 100 रू. दान करते हुये जिस दिन 1000 रू. हो जायेंगे उस दिन मेरा नाती हाथी पर जरूर बैठेगा ।
जिन लोगों ने 1000 रू. वापिस ले लिये थे वे आज तक हाथी पर नहीं बैठ पाये और दादी का नाती बार-बार हाथी पर बैठा ।
श्री लालमणी भाई
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