पुद्गल जीव पर तभी बड़ा उपकार करेगा जब उसमें उपकारी-गुणों की स्थापना की गयी हो जैसे मूर्ति में भगवान ।
श्री लालमणी भाई – चिंतन
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जीव का तात्पर्य जो जानता,देखता है या जिसमें चेतना होती है।
पुदगल का मतलब है पूरण और गलन स्वभाव होता है अथवा रुप रस गंध व स्पर्श ये चारों गुण होते हैं, इसके दो भेद स्कंद व परमाणु। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पुदगल जीव पर तभी उपकार करेगा जब उसमें उपकारी गुणों की स्थापना की गई हो जैसे मूर्ति में भगवान।
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जीव का तात्पर्य जो जानता,देखता है या जिसमें चेतना होती है।
पुदगल का मतलब है पूरण और गलन स्वभाव होता है अथवा रुप रस गंध व स्पर्श ये चारों गुण होते हैं, इसके दो भेद स्कंद व परमाणु। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पुदगल जीव पर तभी उपकार करेगा जब उसमें उपकारी गुणों की स्थापना की गई हो जैसे मूर्ति में भगवान।