प्रण

प्रण कब तक निभायें ?

प्रण निभाने में व्यक्तिगत लाभ होता है,
लेकिन वह प्रण जब समाज/देश/धर्म के लिये अहितकारी हो जाय तो तोड़ लेना चाहिये जैसे श्री कृष्ण करते थे ।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. प़ण का मतलब कोई नियम लेना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि प़ण कब तक निभायें, जबतक व्यक्तिगत लाभ हो, लेकिन जब प़ण जब समाज,देश और धर्म के लिए अहितकारी होजाय तो उसको तोड़ लेना आवश्यक है,जैसा श्री कृष्ण करते थे।

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