प्रायश्चित
आचार्य शांतिसागर जी महाराज को आहार देते समय अम्मा जी से कोई त्रुटि हो गई।
प्रायश्चित पूछ्ने पर पंड़ित जी ने बताया तो उन्होंने किसी दुसरे महाराज के एटा आने पर भरी सभा में रोते हुये अपनी गलती स्वीकारी,
सब लोगों ने Criticize भी किया, पर मुनि महाराज ने कहा कि तुम्हारा प्रायश्चित तो हो गया ।
पाप को 10 लोगों को बता दो तो वह कम हो जाता है, ऐसे ही पुण्य को 10 लोगों को बखान करो तो वह भी कम हो जाता है ।