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“चाबी” से खुला “ताला” बार बार “काम” में आता है,
और
“हथौड़े” से “खुलने” पर दुबारा काम का नहीं रहता ।
इसी तरह “संबन्धों” के ताले को “क्रोध” के “हथौड़े” से नहीं बल्कि “प्रेम” की “चाबी” से खोलें।
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(सुरेश)
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2 Responses
प्रेम जीवन को जोड़ता है जबकि क़ोध जीवन को तोड़ता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि चाबी प्रेम का कार्य करती है जबकि हथौडा से ताला खोलने का कार्य क़ोध का प्रतीक है। अतः सबंधों के ताले का कार्य क़ोध से नहीं बल्कि प़ेम की चाबी से खोलने का प्रयास करना आवश्यक है।
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प्रेम जीवन को जोड़ता है जबकि क़ोध जीवन को तोड़ता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि चाबी प्रेम का कार्य करती है जबकि हथौडा से ताला खोलने का कार्य क़ोध का प्रतीक है। अतः सबंधों के ताले का कार्य क़ोध से नहीं बल्कि प़ेम की चाबी से खोलने का प्रयास करना आवश्यक है।
Bahut hi sateek tarike se “prem” ki mahatta ko samjhaya gaya hai!!