बटुआ उधारी के पैसों से भी फूल जाता है,
हालाँकि आदमी के पास भी सब कुछ उधारी का है/थोड़े समय के लिये है,
पर आदमी तो समझदार है/ निर्जीव बटुआ नहीं है,
वो पैसा आते ही क्यों फूल जाता है !
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One Response
यह कथन सत्य है कि बटुआ उधारी के पैसों से भी फ़ूल जाता हैं। हालांकि आदमी के पास भी सब कुछ उधारी का है लेकिन कुछ समय के लिए होता है।पर आदमी तो समझदार है लेकिन निर्जीव बटुआ नहीं है। पैसा आने पर आदमी को घमंड आ जाता है लेकिन बटुआ निर्जीव होने के कारण उसको कोई फ़रक नहीं पड़ता है।
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यह कथन सत्य है कि बटुआ उधारी के पैसों से भी फ़ूल जाता हैं। हालांकि आदमी के पास भी सब कुछ उधारी का है लेकिन कुछ समय के लिए होता है।पर आदमी तो समझदार है लेकिन निर्जीव बटुआ नहीं है। पैसा आने पर आदमी को घमंड आ जाता है लेकिन बटुआ निर्जीव होने के कारण उसको कोई फ़रक नहीं पड़ता है।