भजन

जब जब भोजन की याद आये, कम से कम तब तब तो भजन की याद करें ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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4 Responses

  1. जो व्‍यक्ति या मानव भजनानंदी हो जाता है उसे हर काम में भजन लगता है जैसे कि अगर वो झाडू लगाता है तो वह उसी में भजन का आनंद ले सकता है, खाना खाता है तो उसमें भी भजन का आनंद ले सकता है। भगवान को भी भजन करने वाला भक्‍त अधिक प्रिय होता है। हमें हर काम को ऐसे करना चाहिए कि जैसे हम भगवान का भजन कर रहे हैं।

  2. Prayer (BHAJAN) is not a “SPARE WHEEL” that you pull out when in trouble,
    but it is a “STEERING WHEEL” that directs the right path throughout.

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