भाग्य / पुरुषार्थ

भाग्य बीज है,
पुरुषार्थ बोना ।
उचित फसल (फल) लेने के लिये दोनों आवश्यक हैं ।

मुनि श्री सुधासागर जी

Share this on...

One Response

  1. यह कथन सत्य है कि भाग्य बीज यानी कर्म होते हैं लेकिन पुरुषार्थ यानी चेष्टा या प़यत्न करना होता है।अतः बीज को बोने का पुरुषार्थ तो करना आवश्यक है ताकि उचित फसल यानी उसका फल मिल सकता है।अतः बीज की तरह कर्मो के उचित फल के लिए उचित कर्मो का पुरुषार्थ करना चाहिए ताकि उचित परिणाम प़ाप्त हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

May 19, 2019

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031