भाग्यशाली वह नहीं जिसके पुण्य का उदय चल रहा है, बल्कि भाग्यशाली वह है जो पुण्य के उदय में पुण्य कर रहा है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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पुण्य जो अपनी आत्मा को निर्मल और पवित्र बनाते हैं, आत्मा के पवित्रता के लिए जीव को दया दान पूजा आदि ही शुभ परिणाम देते हैं।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि भाग्यशाली वह नहीं जिसके उदय में पुण्य चल रहा हो बल्कि भाग्यशाली वह है जो पुण्य के उदय में पुण्य कर रहा होता है।
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पुण्य जो अपनी आत्मा को निर्मल और पवित्र बनाते हैं, आत्मा के पवित्रता के लिए जीव को दया दान पूजा आदि ही शुभ परिणाम देते हैं।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि भाग्यशाली वह नहीं जिसके उदय में पुण्य चल रहा हो बल्कि भाग्यशाली वह है जो पुण्य के उदय में पुण्य कर रहा होता है।