भाषा समिति

ब्र. संजय ने आचार्य श्री विद्यासागर जी से सात प्रतिमाओं का नियम लिया ।
आ. श्री ने पूछा – कुंए का पानी लेते हो ?
ब्र. संजय को अचरज हुआ – पहले नियम (2 प्रतिमा) से ही मैं तो कुंए का पानी प्रयोग कर रहा हूँ, आज क्यों पूछ रहे हैं ।
तब ध्यान में आया – आचार्य श्री को सब भक्त्तों के पूरे विवरण मालुम रहते हैं । वे जानते हैं कि मेरी माँ जो अब क्षुल्लिका बनकर ऐसे संघ में रहतीं हैं जहाँ कुंए के पानी का नियम नहीं है ।
फिर भी आचार्य श्री ने भाषा-समिति का प्रयोग करते हुए सीधे नहीं पूछा ताकि उस संघ का अपमान नहीं हो ।

(ब्र. संजय)

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One Response

  1. भाषा समिति का तात्पर्य हित,मित और प़िय बचन बोलना होता है,यह साधु का मूलगुण होता है।
    अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी पालन करते हैं। उनके संघ में पूर्ण अनुशासन रहता है।संघ में किसी साधु से भूल होती है,उस पर नाराज़ नहीं होते हैं, बल्कि हित और प़िय वचन बोलकर समाधान करते हैं। दूसरे संघों की कभी आलोचना नहीं करते हैं।वह हमेशा कम ही बोलकर समाधान करते रहते हैं।

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