भुज्यमान आयु
भोगी जाने वाली आयु । यह दो प्रकार की होती है ।
1. निरूपक्रम/अनपवर्तनीय- प्रति समय समान निषेक निर्जरित होते हैं, इसे उदय कहते हैं, इस प्रकार के साथ उदीरणा नहीं होगी ।
2. – सोपक्रम/अपवर्तनीय –
पहले तो समय-समय में समान निषेक निर्जरित होते हैं, परन्तु उसके अंतिम अन्तर्मुहूर्त में बहुत से निषेक एक साथ निर्जरित हो जायें, इसे उदीरणा कहते हैं ।