व्यवहार तथा निश्चय नय से जब हम पर-पदार्थ को जानेंगे तो एक भेद रेखा खिंच जायेगी, इसी का नाम “भेद-विज्ञान” है ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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शरीर आदि द़व्य से आत्मा भिन्न है, ऐसा अनुभव या ज्ञान होना भेद विज्ञान कहलाता है। व्यवहार तथा निश्चय नय से जब हम पर-पदार्थ को जानेगे तो एक भेद रेखा खिच जावेगी, इसी का नाम भेद-विज्ञान है।अतः जीवन के उद्वार के लिए भेद विज्ञान का ज्ञान होना चाहिए।
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शरीर आदि द़व्य से आत्मा भिन्न है, ऐसा अनुभव या ज्ञान होना भेद विज्ञान कहलाता है। व्यवहार तथा निश्चय नय से जब हम पर-पदार्थ को जानेगे तो एक भेद रेखा खिच जावेगी, इसी का नाम भेद-विज्ञान है।अतः जीवन के उद्वार के लिए भेद विज्ञान का ज्ञान होना चाहिए।