मन की मलीनता / पवित्रता
अचानक ये पहाड़ी कैसे बन गयी,
पिछले 5-10 सालों में तो दिखती नहीं थी ?
यह दिल्ली के कूड़े का ढेर (गाजीपुर) है,
जो वातावरण के स्वच्छ होने से दिखने लगा है ।
Moral….
विचार स्वच्छ होने पर ही अपने मन की गंदगी दिखती है ।
चिंतन
और जैसे-जैसे मन की गंदगी कम होती जाती है, श्वेत(हिमालय की श्रंखला)/ शुद्धता द्रष्टिगोचर होती जाती है जैसा कमल जी ने अपनी टिप्पणी (नीचे) में चिंतन दिया है ।
2 Responses
उक्त कथन सत्य है कि विचार स्वच्छ होने पर ही मन की गन्दगी नज़र आने लगती है।
अतः जीवन में मन को स्वच्छ रखने पर ही मन की मलिनता समाप्त होने की संभावना है।इस समय देश की स्वच्छता होने के कारण नदियों एवं सड़क आदि की स्थिति बदल गई है।
बहुत अच्छा विचार है। यह भी विचारणीय है कि स्वच्छ वातावरण में जलंधर में दूरस्थ धौलाधार श्रेणी के हिमशिखर दिखाई देने लगे हैं, और दिल्ली में कूड़े की पहाड़ी। यह क्षेत्र का प्रभाव है।
कमल कांत जैसवाल