माँ और संस्कार

पांड़वों की माँ वनवास में भी साथ रहीं,
कौरवों की माँ ने उनके साथ रहकर भी उन पर नज़र तक नहीं डाली ।

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One Response

  1. यह कथन बिलकुल सही है ….
    माँ और संस्कार की ही महत्त्वपूर्ण भूमिका है। माँ के संस्कार से ही मनुष्य की ज़िंदगी बनती है ।

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