बहुत लोग तुम्हें जानते हैं; इससे मान की अनुभूति होगी।
तुम बहुत लोगों को जानते हो; इससे आनंद की अनुभूति होगी।
(सुमनलता – दिल्ली)
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मान का तात्पर्य दूसरों के प्रति शमशेर की वृत्ति न होना होता है , अथवा दूसरों के प्रति तिरस्कार रुप भाव होना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि बहुत लोग तुम्हें जानते हैं,यह अनुभूति सम्मान एवं मान देगी, इसके अलावा तुम बहुत लोगों को जानते हो,यह अनुभूति, आनन्द एवं सकून देगी। अतः जीवन में दूसरों को मान देना चाहिए, बल्कि मान की अपेक्षा नहीं रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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मान का तात्पर्य दूसरों के प्रति शमशेर की वृत्ति न होना होता है , अथवा दूसरों के प्रति तिरस्कार रुप भाव होना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि बहुत लोग तुम्हें जानते हैं,यह अनुभूति सम्मान एवं मान देगी, इसके अलावा तुम बहुत लोगों को जानते हो,यह अनुभूति, आनन्द एवं सकून देगी। अतः जीवन में दूसरों को मान देना चाहिए, बल्कि मान की अपेक्षा नहीं रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।