मुखौटे

चेहरा देख कर इनसान पहचानने की कला थी मुझमें …..,

लेकिन तकलीफ़ तो तब हुई जब इनसानों के पास चेहरे बहुत निकले ।

(शशि)

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One Response

  1. यह कथन बिलकुल सत्य है… पहले इनसान की पहचान हो जाती थी, लेकिन आजकल इनसान की पहचान, उसके बहुरूपिया चारित्र एवं आचरण से होना, कठिन हो गई है ।

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