मोहनीय कर्म

जब 10 वें गुणस्थान के अंत में इसका अंत हो जाता है,
तो 12 वें में अनंतसुख प्रकट क्यों नहीं होता ?

अनंतसुख भोगने के लिये अनंतवीर्य भी चाहिये,
जो 13 वें में ही प्रकट होता है,
तभी भगवान अनंतसुख भोग सकते हैं ।

बाई जी

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