त्रैकालिक योग्यता से तात्कालिक योग्यता आती है जैसे आटे से रोटी बनना ।
आचार्य श्री विशुद्धसागर जी
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One Response
जीवन में योग्यता की सीमा बहुत अधिक रहती है।
अतः आचार्य श्री का कथन सत्य है कि त्रैकालिक दृष्टि से तात्कालिक योग्यता आती है जैसे आटे से रोटी बनना। अतः जीवन में जितनी योग्यता होती है ,उसी प्रकार कार्य पूर्ण होता है।
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जीवन में योग्यता की सीमा बहुत अधिक रहती है।
अतः आचार्य श्री का कथन सत्य है कि त्रैकालिक दृष्टि से तात्कालिक योग्यता आती है जैसे आटे से रोटी बनना। अतः जीवन में जितनी योग्यता होती है ,उसी प्रकार कार्य पूर्ण होता है।