दूध, दही, छाछ, घी का अलग-अलग स्वभाव/तासीर होती है ।
दही का त्यागी छाछ ले सकता है ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि दूध,दही,छाछ,घी का अलग अलग स्वभाव एवं तासीर होती है।दूध को तपाकर ही अंत में घी बनता है,यह भी एक तप है।
हर एक के गुण अलग अलग होते हैं। उपरोक्त कथन सत्य है कि दही का त्यागी छाछ ले सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि दूध,दही,छाछ,घी का अलग अलग स्वभाव एवं तासीर होती है।दूध को तपाकर ही अंत में घी बनता है,यह भी एक तप है।
हर एक के गुण अलग अलग होते हैं। उपरोक्त कथन सत्य है कि दही का त्यागी छाछ ले सकता है।