???????????????? इनसान के पास जब बहुत रुपया हो जाता है,
तो वह बहुरुपिया हो जाता है । ????
(अभिषेक-शिवपुरी)
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यह कथन बिलकुल सही है ।
आजकल, अधिक रूपया होने पर वह बहुरूपिया की तरह व्यवहार करते हैं ।उतना ही रुपये रखना चाहिए जितनी ज़रूरत हो, जैसे अधिक पानी गिरने पर, बाँध का निर्माण करते हैं, जिससे पानी का उपयोग पीने एवम् सिंचाई के काम आता है,
उसी तरह धन का संग्रह करना चाहिए, ताकि ख़ुद को एवम् अन्य को भी लाभ मिले; तभी उसका कल्याण होगा एवम् मति भ्रष्ट होने से बच सकेंगे ।
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यह कथन बिलकुल सही है ।
आजकल, अधिक रूपया होने पर वह बहुरूपिया की तरह व्यवहार करते हैं ।उतना ही रुपये रखना चाहिए जितनी ज़रूरत हो, जैसे अधिक पानी गिरने पर, बाँध का निर्माण करते हैं, जिससे पानी का उपयोग पीने एवम् सिंचाई के काम आता है,
उसी तरह धन का संग्रह करना चाहिए, ताकि ख़ुद को एवम् अन्य को भी लाभ मिले; तभी उसका कल्याण होगा एवम् मति भ्रष्ट होने से बच सकेंगे ।